मेरी डायरी के वो सूखे मुरझाये फूल
जो मैंने कभी तुम्हे दिए ही नहीं
वो छत के कोने में रखी टूटी कुर्सी
जिसपे हम कभी साथ बैठे ही नहीं
वो छज्जे पर छुपा कर रखे पटाखे
जो हमने दिवाली में कभी जलाये नहीं
वो अलमारी में कपड़ो के तह के नीचे छुपाये खत
जो मैंने कभी हाथों में रख कर पढ़े ही नहीं
वो दिल में रखी एक बात
जो कभी मैंने तुमसे कही नहीं
वो तुम्हारे साथ वाली एक जिंदगी
जो शायद मैंने कभी जी ही नहीं
जो मैंने कभी तुम्हे दिए ही नहीं
वो छत के कोने में रखी टूटी कुर्सी
जिसपे हम कभी साथ बैठे ही नहीं
वो छज्जे पर छुपा कर रखे पटाखे
जो हमने दिवाली में कभी जलाये नहीं
वो अलमारी में कपड़ो के तह के नीचे छुपाये खत
जो मैंने कभी हाथों में रख कर पढ़े ही नहीं
वो दिल में रखी एक बात
जो कभी मैंने तुमसे कही नहीं
वो तुम्हारे साथ वाली एक जिंदगी
जो शायद मैंने कभी जी ही नहीं
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