किताबों में मेरी एक दुनिया है,
जो बस चंद अक्षरों के दरम्यां है |
किताबों से निकलते कितने अल्फ़ाज़ हैं,
किताबों में फिर छुपे कितने राज़ हैं
जिंदगी जीना हो तो,
किताबों के माफ़िक़ जीना |
किताबों में बस कहानियां जुड़ती हैं,
लिखी बात कभी वापस नहीं होती |
जिंदगी में जो भी किया,
कभी वो वापस नहीं होना चाहिए |
जिंदगी के किसी पन्ने का
अफ़सोस नहीं होना चाहिए |
पर जिंदगी कभी अगर
खाली किताब पकड़ा दे,
तो उसमें कहानी लिखने मत बैठ जाना,
कहानियां पढ़ना जरूर पर |
असली कहानी लिखी नहीं
जी जाती है बस |
तुम जिस किताब में
किसी और की कहानियां पढ़ रहे हो,
वो किताब उसने नहीं
किसी और ने लिखी है |
तुम्हारी कहानी लिखने वाले भी
हज़ारों मिलेंगे |
बस, कहानी ऐसी रखना कि
किताब लिखने वाले के पास
वक़्त कम पड़ जाए |