Friday 31 August 2018

जाने दो

जाने दो उसको,
आखिर कब तब उन
लम्हो में रहोगे ?
वो लम्हा कब का 
गुजर चुका है। 
कब तक तुम 
उनको थामे बैठे रहोगे,
अरे जाने दो ना,
छोड़ो जो हुआ, 
जाने दो। 

वो जो डोर थी, वो 
दो लोगों को थामनी थी। 
उसने तो अपना सिरा 
यूँही गिरा दिया, 
और तुम हो कि
अभी भी वो 
डोर पकड़े बैठे हो। 
अरे हाथों में
छाले पड़ जायेंगे, 
छोड़ो उस डोर को। 
जाने दो जो हुआ 
छोड़ो,
जाने दो।

आखिर किस बात का डर तुम्हे,
दो कदम आगे तो बढ़ो यहाँ से,
बंधनो से आज़ाद करो खुद को। 
जो बीत गया वो,
जाने दो।
आगे काफी कुछ आएगा,
उनको जरा आने दो,
जो हुआ उसे जाने दो, 
चलो छोड़ो,
जाने दो।

No comments:

Post a Comment