Tuesday 3 July 2018

ऐसा पहली बार नहीं था

सुबह सुबह एक ख्याल से
आज मेरी नींद खुल गयी। 
ऐसा नहीं था कि मैंने फिर
सोने की कोशिश नहीं की,
पर नींद नहीं आती थी। 
मैं शायद फिर सोना ही
नहीं चाहता था। 
मुझे डर लगने लगा था,
सोते वक़्त आने वाले
उन सपनों से।
ऐसा पहली बार नहीं था,
पहले भी हो चुका था।

मुझे पता था मैंने जो
किया, वो गलत था,
मैं शायद सही कर
तो सकता था पर,
मैंने उसे टाल दिया था, 
ये सोचकर कि मेरे
अभी पास वक़्त है।
ऐसा पहली बार नहीं था,
मैं पहले भी ऐसा कर चुका था।

पर, इस बार मैं गलत था
मेरे पास वक़्त नहीं था।
बहुत देर कर दी
इस बार, बहुत देर।
वो चले गए फिर।
मैंने अपनी डायरी में
सब लिख तो दिया था,
पर,
किसी को कभी कुछ कहा नहीं।
ऐसा पहली बार नहीं था,
पहले भी मैं ऐसा कर चुका था।
शायद मुझे ऐसा
नहीं करना चाहिए था। 

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