Saturday 10 February 2018

साथ नहीं रहेंगे

तुम रात बनना,
मैं दिन बनूँगा
हम दोनों कभी भी
एक साथ नहीं रहेंगे
पर, जब तुम जाने वाली होगी
और मैं आ रहा होऊंगा
या, जब तुम आने वाली होगी
और मैं जा रहा होऊंगा
वो शाम और भोर में
हम मिलेंगे जरूर, और
उस सन्नाटे में ऐसे मिलेंगे
कि, उससे सुन्दर शोर इस जहाँ ने
न पहले कभी सुना होगा
न पहले महसूस किया होगा

तुम ज़मीं बनना
मैं आसमा बनूँगा
हम दोनों के बीच
ज़मीन-ओ-आसमान  के
फासले होंगे
पर, क्षितिज पर
हम जरूर मिलेंगे
लोग हमारी मुलाक़ात को
देखेंगे, दंग रह जाएंगे
हम उस मुलाक़ात की
एक तस्वीर बनाएंगे फिर
ऐसी खुशनुमा तस्वीर जो
किसी ने कभी न सोची होगी
न किसी ने रंगी होगी

फिर, उस क्षितिज पर जब
वो डूबता हुआ सूरज
उगते हुए चाँद से मिलेगा
या, वो उगता हुआ सूरज
डूबते हुए चाँद से मिलेगा
और पूछेगा कैसी हो तुम?
बड़े वक़्त बाद मिलना हुआ
ये जहाँ तब खिल उठेगा
हम पल भर के लिए ऐसे मिलेंगे
पर हम दोनों कभी भी
साथ नहीं रहेंगे,
साथ नहीं रहेंगे |  

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