Saturday 20 January 2018

नींद

मैं नींद हूँ और मेरे भी
अपने अलग मिज़ाज़ हैं 
अपनी मर्जी का
मालिकाना हक़ है मुझे
मेरा मन जब करे
तब मैं आउंगी
ना मन करे तो
जो उखाड़ना है उखाड़ लो
नहीं आना मतलब
मुझे नहीं आना

अभी तो तुम जवान हो
मेरे बारे में मत सोचो
तुम सपनो का जाल बुनते रहो
बिना मेरे भी सपने आते हैं
मेरे वाले सपने जो हैं ना
वो गीले साबुन के बुलबुले हैं
हवा लगते ही फूट जायेंगे
सपना वो देखो जो तुम्हें 
मेरी याद ना आने दे
मेरी ख्वाहिश मत करो
मैंने बहुत दुनिया देखी है
मैं नींद हूँ

मैं बता रही हूँ
डरो मुझसे, डरो
एक दिन पूरी शिद्दत से
बोरिया बिस्तर लेकर आउंगी
हमेशा के लिए साथ रहने
फिर न कोई रास्ता होगा
और ना कोई रहगुजर
आखिरी नींद होगी तुम्हारी
बहुत लम्बी नींद
ऐसी गहरी नींद, जो तुम
जगाये न जागो
मैं वो नींद भी हूँ

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