Friday 4 March 2016

पिता

जो इस दुनिया में नया जीवन स्वरूप ले हम आये
कहा हमको भगवान का रूप ले नन्ही जान हैं आये
पर उस नन्हे को मिले भगवान के साये
जो मात-पिता कहलाये।

सबने कहा कितना बड़ा दिल माँ का
सुकून देती हमें सारे जहाँ का
इस भाँति कहीं जिक्र न पाया आपका
महत्व एक संतान समझती है फिर भी पिता का
एक ढाल के जैसे हर संकट से बचाना वो एक पिता का
या हो हर वक़्त चलना थाम कर हमारे हाथ का।

यादों के शहर के सड़को पर वापस जाते हैं
तो ढलती शाम में, आपकी राह तकते खुद को पाते हैं।
वक़्त हो चला आफिस से आने का, पापा आते होंगे
शायद मेरे लिए खिलोने और मिठाइयाँ लाते होंगे।
नादानी में न जाने कितनी बार दिल दुखाया
पर अडिग उस पिता को हमेशा पास पाया।
उन खामोशियों क पीछे जाने कितनी कहानियां थी,
शायद हम जान नहीं पाये,वो क्या वीरानियाँ थी।

वक़्त वो भी था जब हमारे लिए, लिए कुछ कठोर कदम,
थोड़े दूर तो थे, पर फिर भी पास थे हम।
खुद की खुशियों को मानो, न्योछावर कर दिया,
एक पिता से पूछो, संतान के लिए उसने क्या क्या किया।
एक पिता ही कर सकता है इतना सब,
संग लिए मुस्कान की वो सबब।
पल भर एहसास न होने दिया अपनी तकलीफ का ,
आज आपसे सीख रहा हूँ, पाठ तहज़ीब का।
एक दिन जब उसी मुकाम पर हम आएंगे,
तब बारीकी से वो लम्हे जान पाएंगे ,
पर तब तक सदा आपके गुण गाएँगे।

इस अवसर पर आपके लिए तोहफा सोचना मुश्किल है,
आपके प्यार से भरी अंतर्मन की ये महफ़िल है।
बयां लफ्जों में न कर सकें,जो आपने दिया उम्र भर
वो बेइन्तहां खुशियां, और प्यार जी भर कर।
आपके सारे सपने पूरा करूँगा मैं ,
पिता मिला मुझे आप जैसा, प्रभु का शुक्र गुजार रहूँगा मैं। 

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