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Thursday, 9 June 2016

बारिश

और आज बारिश हो रही है
आसमा में छाए ये काले बादलों का कारवाँ
और साथ में लहराते ये ठंडे हवा के झोंके
कितना सुकून देते हैं ये मन को
बारिश की बूँदें ये,काफी बड़ी बड़ी हैं
हवा से तिरछी सी हो चली है बारिश
थोड़ा हाथों में चुभती सी भी है ये
जो हाथ बरामदे से बाहर निकालो तो
पर यही तो असली मज़ा है
ज़िन्दगी के मजे लो
इस बारिश के मजे लो


कैसे वो काँच की खिड़की से
बारिश की बूँदें नीचे सरक रही हैं
कैसे वो पड़ोस वाले छत पे
छोटे छोटे गड्ढों में पानी भर रहा है
कैसे वो सामने वाले आम के पेड़ के
पत्तों से पानी बूँद बूँद कर ज़मीं को छू रहा है
कैसे वो छोटे से छज्जे के नीचे वो
चिड़िया पंखों से पानी सुखा रही है

कल तलक जिस बरामदे में पाँव न रखते थे
क्यूंकि ज़मीं गरम सी होती थी
कल तलक जो खिड़कियाँ बंद होती थी
क्यूंकि धूप आएगी घर में
कल तलक जो पंखे बंद ना होते थे
क्यूंकि गर्मी बहुत ज्यादा थी
आज वो बरामदे की ज़मीन ठंडा गयी है
वो खिड़कियां खुल गयी हैं
पंखे बंद हो चले हैं, क्यूंकि
बरामदे की ये हवा बहुत सुकून दे रही है
बारिश हो रही है ज़नाब
बारिश आ गयी है
ज़िन्दगी के मजे लो
इस बारिश के मजे लो


पल भर बाद बारिश शायद थम जाएगी
काले स्याह बादलों को चीर के
वो सूरज की किरणें फिर आएगी
कभी सीधी, तो कभी थोड़ी आड़ी तिरछी सी
फिर चुभेगी वो किरणें
पर वो तो पल भर बाद होगा
अभी तो बस अब की सोचिये
क्या पता वो सूरज भी कल भा जाये
ए इंसा, जिंदगी इस पल में जियो
कल की कल सोच लेना
अभी बारिश हो रही है
ज़िन्दगी के मजे लो
इस बारिश के मजे लो