कुछ बातें कही हैं,
कुछ अनकही है,
जो है,
बस जिंदगी यही है |
कभी गलत है,
और कभी सही है,
जो है,
बस जिंदगी यही है |
खाता है, बही है,
जो है,
बस जिंदगी यही है |
टूट चुकी इस कलम में
बाकी अब भी थोड़ी स्याही है,
पर फिर भी जो है,
बस जिंदगी यही है |
जब तलक है,
यही है,
उसके बाद तो
फिर कुछ भी नहीं है |
No comments:
Post a Comment