Sunday 17 May 2020

वक़्त वक़्त की बात

वक़्त वक़्त की बात है,
कल जो खुदा था,
आज वही जुदा है |
बस वक़्त वक़्त की बात है |

कल जिन टूटी पलकों को
हाथों पर रख कर,
आँखें मूँद कर,
दुआएं माँगा करते थे,
और फिर हलके से फूँक कर
जिन्हे हम उड़ा देते थे,
आज वही टूटी पलकें
आँखों में चुभती हैं,
और मैं फिर से
उन्हें फूँक लगा कर
उड़ा देता हूँ |

वक़्त वक़्त की बात है,
कल जो दुआ थी हमारी,
आज वही दवा का सबब है |
बस वक़्त वक़्त की बात है | 

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