Sunday 28 October 2018

अच्छा लगता है तुमसे बातें कर के

मैं और तुम
कितनी बातें करते थे।
मुझे याद है,
जब भी मैं
परेशान होता था,
या, कोई चिंता
मुझे सताती थी,
मैं किसी और से
कहने में हिचकिचाता था,
मैं तब तुमसे बातें
करता था,
क्योंकि तुम सुनती थी,
तुम मुझे समझती थी।

अच्छा लगता था, मुझे
तुमसे बातें कर के।
अच्छा लगता है, मुझे
तुमसे बातें कर के।
जब कुछ नहीं होता था,
तो मैं बिना सोचे समझे
जिंदगी के किसी गहरे मुद्दे
पर तुमसे बात छेड़ देता था।
पर, कई दिनों से तुमसे
ऐसी कोई बात नहीं हुई।

एक दिन मैंने उससे पूछा,
काफी दिन हो गए,
हमारी ऐसी कोई बात नहीं हुई ?
उसने कहा, चलो अच्छा है
लगता है जिंदगी की सारी
उलझनें सुलझ गयी हैं।
फिर, जब मैंने उससे पूछा
कि क्या तुम्हे याद है,
आखिरी बार कब परेशान थी तुम ?
उसने कहा "नहीं, पर आज नहीं"।
और उस एक पल में मुझे
फिर से याद आ गया,
कि, क्यों
अच्छा लगता है मुझे
तुमसे बातें कर के। 

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