Sunday 23 September 2018

तुम समझ जाओगे

तुम जब देखोगे,
तब समझ जाओगे।
पता नहीं तुम हमेशा
ऐसा क्यों कहते हो? 
अगर मैं कभी
देख नहीं पाया तो ?
तुम मेरी ओर
देख क्यूँ नहीं रहे?

मैं पूरी जिंदगी,
डूबते सूरज के आगे,
उस तालाब के किनारे,
तुम्हारे इंतज़ार में
नहीं रह सकता।
मुझे जाना है, अब
अँधेरा होने वाला है।
तुम आ जाते तो,
अच्छा रहता।
तुम्हे क्या पता
मैं कैसा हूँ,
शायद तुम जब देखोगे
तब समझ जाओगे।

एक बार आ जाते
जाने से पहले,
देख लेता तुम्हें
तो,
मन हल्का हो जाता,
पर, छोड़ो,
तुम जब देखोगे,
तब समझ जाओगे। 

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