Wednesday 23 May 2018

एक दिन सोचा

कल एक काम
बाकी रह गया था,
आज याद आया,
तो सोचा
चलो कर आते हैं।

तुम्हारे जाने के बाद,
जब घर साफ़ कर रहा था,
एक तस्वीर मिली,
मेरे जैसी शक्ल का कोई
इंसान हंस रहा था उसमे,
तो सोचा
चलो हंस आते हैं। 

लोग आते जाते
सवाल पूछा करते थे,
मैं बुत बना देखा करता,
किंकर्त्तव्यविमूढ़,
तो सोचा एक दिन कि
चलो जवाब दे आते हैं

कश्मकश में मैं
हर वक़्त उलझा रहता,
ये करते वक़्त कभी
वो कर बैठता,
और वो करते वक़्त
कुछ और सोचता,
तो सोचा फिर मैंने कि
चलो सब छोड़ आते हैं

बहुत भाग दौड़ की, 
बहुत कुछ देखा और सुना।
फिर एक दिन थक गया मैं,
एक लम्बी सांस ली,
थोड़ी देर ठहरा,
और सोचा,
चलो अब मर जाते हैं। 

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