Tuesday 23 October 2018

अग्नि

ये वही आग है जिस पर
कल मैंने लकड़ियाँ जलाई थी,
खाना बनाया था,
पर, ये वो आग भी है
जिस पर, वक़्त आने पर 
कल तुम मेरे मृत शरीर को
भी जला डालोगे।
ये अग्नि एक ओर जहाँ
एक बेजान से शरीर
में जां भर सकती है,
तो, दूसरी ओर जान
लेने में भी उसे
वक़्त नहीं लगता।

हम जिस चीज के पीछे
पूरी जिंदगी भागते हैं,
वो हमें एक न एक दिन
बर्बाद कर ही देती है,
पर, हमारी बर्बादी
हमें जीने का मक़सद
भी तो देती है। 
अगर कभी कुछ
बिगड़ा ही नहीं,
तो ये जिंदगी का क्या मज़ा।

मैं आग से डरता तो था,
पर, मुझे उसकी जरूरत
भी उतनी ही थी।
मैं धीरे धीरे समझ रहा था, कि 
ये आग जलती रहनी चाहिए,
ये ज्वाला धधकती रहनी चाहिए,
ये लौ जगमगाती रहनी चाहिए,
ये मसाल बुझनी नहीं चाहिए,
ये अग्नि कभी,
धूमिल नहीं होनी चाहिए। 

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