Sunday, 18 February 2018

मुझे जाना होगा

मुझे जाना होगा
सभी तो जाते हैं,
इसमें नया क्या है
ऐसे क्यूँ देख रही हो ?
तुम भी तो जाओगी एक दिन
सब जाते हैं कभी न कभी

दूर से दौड़ कर आने वाली
समंदर की बलखाती लहरें भी
तो जाती हैं वापस
कहाँ ही रुकते हैं वो
चट्टानों से टकरा उसे समझ
आता है शायद कि ये सारी
उम्र यहाँ नहीं रह सकती

पूरे साल बाद वापस आने वाली
वो बरसात भी तो जाती है
हाँ, वापस आती है वो, पर,
पर वो, वो वाली बरसात नहीं होती
उसमे तुम नहीं होती हो
उसमे मैं कभी अकेला होता हूँ,
तो कभी कोई और होता है

कभी तुमने क्यूँ नहीं पूछा कि
मैं अब तक क्यों रुका रहा ?
पर छोड़ो यार,
कोई गिला नहीं,
मुझे अब जाना है
बरसो गड्ढे में जमा हुआ पानी,
पानी नहीं रहता
वो गंदा हो जाता है 

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